महाविद्यालय की स्थापना एवं उसके सम्पूर्ण विकास की परिकल्पना मलकुती कुआतों (देव शक्तियों) के प्रेरणा के फलस्वरूप ही संभव होता है ।
भ्रमवश अज्ञानी मानव अल्लाह (परमात्मा) द्वारा प्रदत्त सफलता रूपी बख्शीश (प्रसाद) को अपनी उप्लब्धियों मे जोड़कर एवं अपने को परिपूर्ण मानकर अपने आगे की उपलब्धियों को विराम देने लगता है
और यही से मानव के पतन का मार्ग प्रशस्त होने लगता है ।
इस महाविद्यालय की स्थापना से पूर्व बड़े बुजुर्गो से प्राप्त शिक्षा और अहंकार से कोषों दुर रहकर महात्मा बुद्ध की पावन धरती पर स्थित करौंदा मसीना मे आज़ाद महाविद्यालय की स्थापना हुई
महाविद्यालय भारतीय मान्यताओ संस्कारों, राष्टीय गौरव एवं स्थानीय कलाओ के विकास के लिए कृत संकल्पित है।
यह संस्था छात्र-छात्राओ कै सांस्कृतिक क्षमता के प्रस्फुटन एबं परिवर्द्धन हेतु अनुकूल बांतावरण का निर्माण करेगी।
महाविद्यालय के पास एक भव्य सुन्दर भवन, पुस्तको से समृद्ध पुस्तकालय, विशाल कीडा परिसर के साथ एक वाचनालय भी पत्र…पत्रिकाआँ सै सुसज्जित है। यह संस्था प्रतियोगी पुस्तकों एवं पत्रिकाओं की व्यवस्था हेतु एक अलग से प्रकोष्ठ की स्थापना करेगी। जिससे समय-समय पर छात्र-छात्राओ की कठिनाईयों का समाधान हो सकेगा।
महाविद्यालय के द्वारा संचालित यह महाविद्यालय क्षेत्र में शैक्षिक विकास एवं रोजगार परक शिक्षा हेतु संकल्पित है ।
इस महाविद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र-छात्राओं से यह अपेक्षा की जाती है कि, सामाजिक एव मानवीय मूल्यों कि सरंचना करते हुए आदर्श नागरिक बनने को प्रयास करें।
उनके इस प्रयास में महाविद्यालय का भी भरपूर सहयोग मिलेगा। मेरा घूरा प्रयास होगा कि शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक क्रियाकलापों द्वारा छात्र/छात्राओँ के मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक क्षमता को विकास किया जाय हमारे युवा विद्यार्थियों के सकारात्मक सोच एवं चेतना ही विशुद्ध भारतीय परम्पराओं एव संस्कृति के प्रमुख केन्द्र के रूप से महान भारत के नव निर्माण का आधार वने, इसी आशाओं एव शुभकामनाओं के साथ अभिभावकों से उनर्क बहुमूल्य सूझाव एवं सहयोग की अपेक्षा है।
हमारे युवा वि के सकारात्मक सोच एवं चेतना ही विशुद्ध भारतीय परम्पराओ एवं संस्कृति के प्रमुख केंद्र के
रूप में महान भारत के नव निर्माण का आधार बने, इसी आशायों एवं शुभकामनाओ के साथ अभिभावकों से उनके बहुमूल्य सुझाव एवं सहयोग की अपेक्षा है।